‘Usko Pana Tha’ poem speaks to everyone who has ever lost someone they loved – not because the love wasn’t real, but because timing, choices, or fate pulled them apart.
It tells the story of someone who chased their future so hard, they missed the love right in front of them – and when they realized, it was too late.
Now, the emptiness of that unlived love lingers in memories, in unanswered longings, and in the silent hope that maybe, someday that lost love might return at a bend in the road.

उसको पाना था
उसको पाना था,
और उसके लिए —
उसका खोना ज़रूरी था
मोहब्बत एक दरिया थी,
जिसमें डूबना
उस पर फ़र्ज़ था
वो मशाल लेकर निकली थी,
बिना किसी सहारे के,
अपने मुक़द्दर को क़ैद करने,
जो अंधेरों में
कहीं खो गया था
मुस्तकबिल की तलाश में
वो इतनी डूब गई,
कि मोहब्बत सामने खड़ी थी,
पर उसे दिखाई ही न दी
दिल में एक बीज पनप रहा था,
ना चाहते हुए भी,
उसे देखने का जी करने लगा
जज़्बातों को झुठलाकर,
उसने उन्हें दिल के
किसी कोने में छुपा दिया
पर जब मोहब्बत दूर गई,
तो दिल तड़पने लगा
जिस मंज़िल की तलाश में थी,
अब उस मंज़िल का अरमान भी न रहा...
उसकी चाहत को आज़माने के लिए,
उसे सज़ा मिल गई
जिस साथ को
वो अपनी कमज़ोरी समझ रही थी,
उस साथ को पाने के लिए
वो सब कुछ भूल गई
आज ख़ाली दामन है उसका,
ना मुस्तकबिल की ख़बर है,
ना मोहब्बत का पता
दिल लगता नहीं किसी चीज़ में,
उसके साथ के बिना
ज़िन्दगी अधूरी सी लगती है
वो रिश्ता जो कभी था ही नहीं,
उसकी यादों में जीना पड़ता है
ना वो लौटता है,
ना दिल सँभलता है
बस ख़ामोशी है —
और उसके नाम का एक दर्द छुपा है
फिर भी, हर शाम, हर सहर
दिल एक उम्मीद से झाँकता है —
शायद कभी, कहीं, किसी मोड़ पर
वो दोबारा मिल जाए
ना अधूरा रहे प्यार,
ना अधूरा रहे ये सफ़र
Naseema Khatoon
USKO PANA THA
Also read – ZALIM MOHABBAT KA KHEL
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